Wheat Crop: सौराष्ट्र क्षेत्र में इस बार गेहूं की फसल पर रोग का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सतर्क रहने और सही उपाय अपनाने की सलाह दी है ताकि फसल को बचाया जा सके और उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके। अगर सही समय पर रोग नियंत्रण नहीं किया गया तो पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है। आइए जानते हैं, गेहूं की फसल को सुरक्षित रखने के लिए किन उपायों को अपनाना चाहिए।
गेरू रोग का खतरा
इस साल किसानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ गेहूं की बुआई की थी, लेकिन गेरू रोग ने उनकी मेहनत पर पानी फेरने जैसा संकट खड़ा कर दिया। गेरूआ पत्ती झुलसा रोग मुख्य रूप से जनवरी और फरवरी में तेजी से फैलता है और गेहूं की पत्तियों और तनों पर नारंगी रंग के धब्बे बना देता है।
➡️ यह बीमारी पौधों को कमजोर कर देती है, जिससे उनका फोटोसिंथेसिस करने की क्षमता घट जाती है।
➡️ धीरे-धीरे पौधों की पत्तियां झुलस जाती हैं, जिससे फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ता है।
➡️ समय रहते इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है।
तना गेरू की समस्या
गेहूं की फसल में तना गेरू भी एक गंभीर समस्या है, जो फसल के अंतिम चरण में देखने को मिलती है।
➡️ यह रोग मुख्य रूप से तनों, पत्तियों और कंदों को प्रभावित करता है।
➡️ इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और पत्तियां मुरझाने लगती हैं।
➡️ फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं।
➡️ अनाज का आकार और वजन कम होने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
गेरू रोग से बचाव के उपाय
गेरू रोग (Rust Disease) से बचने के लिए समय पर सही उपाय अपनाना जरूरी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रासायनिक दवाओं का उपयोग इस रोग को रोकने में काफी मदद कर सकता है।
गेरू रोग से बचाव के लिए छिड़काव का तरीका
1️⃣ दवा की तैयारी:
✔️ मैंकोजेब 75 डब्ल्यू.पी. (Mancozeb 75 WP) – 10 लीटर पानी में 27 ग्राम मिलाएं।
✔️ प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी (Propiconazole 25 EC) – 10 मिली को 10 लीटर पानी में घोलकर तैयार करें।
2️⃣ छिड़काव की प्रक्रिया:
✔️ फसलों पर इस घोल का समान रूप से छिड़काव करें।
✔️ सुनिश्चित करें कि पत्तों के सभी हिस्से दवा से ढके हों।
✔️ यदि आवश्यक हो, तो 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें ताकि रोग पूरी तरह से नियंत्रित हो सके।
अन्य उपचार और सावधानियां
✔️ जैसे ही गेरू रोग के शुरुआती लक्षण दिखें, तुरंत जिंक सल्फेट का छिड़काव करें।
✔️ दीमक की समस्या होने पर फ्रिपरोनिल या क्लोरपाइरीफॉस का उपयोग करें।
✔️ फसल की नियमित निगरानी करें और खेतों में खरपतवार नियंत्रण भी करें।
कृषि विशेषज्ञों की सलाह
✅ किसानों को अपने नजदीकी कृषि केंद्रों से संपर्क करके सही दवाओं और उनके उपयोग की पूरी जानकारी लेनी चाहिए।
✅ सही समय, सही मात्रा और सही विधि से दवाओं का उपयोग करने से रोग नियंत्रण संभव है।
✅ बिना जानकारी के दवाओं का उपयोग करने से फसल को नुकसान हो सकता है और उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
गेहूं की फसल को गेरू रोग से बचाने के लिए समय पर रोकथाम के उपाय अपनाना बहुत जरूरी है। सही दवाओं, उचित छिड़काव और कृषि विशेषज्ञों की सलाह से किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। समय रहते सावधानी बरतें और अपनी मेहनत को बेकार जाने से बचाएं।
Read More:
- LIC Smart Pension Plan: संपूर्ण जानकारी, पात्रता, मृत्यु लाभ और वार्षिकी विकल्प
- 3kW Loom Solar का ऑफर नहीं छोड़ा तो पछताओगे! 3kW सोलर सिस्टम पर सबसे बड़ी बचत
- 5KW सोलर पैनल से क्या-क्या चलेगा? जानकर दंग रह जाएंगे! | 5KW Solar Panel System
- Public Provident Fund (PPF): 15 साल में 12,500 रुपये की मासिक जमा से कितना लाभ होगा?
- IT Stocks Fall: शेयर बाजार में हाहाकार! आईटी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे, जानें क्यों?