Tarbooj ki Kheti: गर्मी के मौसम में तरबूज न केवल ताजगी का प्रतीक है, बल्कि किसानों के लिए लाभदायक फसल भी है। इसकी मिठास और ठंडक से बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। यदि आप भी उष्ण गर्मी में तरबूज की खेती करने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है।
उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
तरबूज की सफल खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। यह मिट्टी जल निकासी में सहायक होती है, जिससे फसल की जड़ें सड़ने से बचती हैं। इसके अलावा, तरबूज को गर्म और शुष्क जलवायु पसंद है, जहां तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।
बीज चयन और बुवाई का समय
उच्च गुणवत्ता वाले संकर बीज चुनना उपज बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुवाई का सही समय जनवरी से मार्च के बीच होता है, ताकि फसल गर्मियों में तैयार हो सके। बीजों को 1.5 से 2.5 सेंटीमीटर गहराई पर बोना चाहिए, जिससे अंकुरण बेहतर हो।
सिंचाई और खाद प्रबंधन
तरबूज की फसल में संतुलित सिंचाई आवश्यक है। अत्यधिक पानी से बचें, क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं। टपक सिंचाई प्रणाली (ड्रिप इरिगेशन) का उपयोग जल की बचत और पौधों को आवश्यक नमी प्रदान करने में सहायक होता है। खाद के रूप में, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा देना फसल की वृद्धि और फलन के लिए आवश्यक है।
कीट और रोग प्रबंधन
तरबूज की फसल में कीटों और रोगों से बचाव के लिए नियमित निरीक्षण आवश्यक है। पाउडरी मिल्ड्यू और डाउनरी मिल्ड्यू जैसे रोगों से बचाव के लिए जैविक या रासायनिक फफूंदनाशकों का उपयोग करें। कीटों में लाल मकड़ी और एफिड्स से बचाव के लिए नीम तेल या अन्य जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।
फसल कटाई और विपणन
बुवाई के लगभग 75 से 90 दिनों बाद तरबूज की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फल की त्वचा पर हल्का पीला रंग और तने का सूखना इसकी परिपक्वता के संकेत हैं। कटाई के बाद, फलों को छायादार स्थान पर रखें और बाजार में ताजगी बनाए रखने के लिए शीघ्र विपणन करें।
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