Sarso Ke Bhav: भारत में सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसका उपयोग तेल उत्पादन से लेकर मसाले तक में होता है। हाल ही में, सरसों की आवक में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है, जिससे मंडी भाव में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करें।
सरसों की आवक में रिकॉर्ड वृद्धि
03 मार्च 2025 को, देशभर की मंडियों में सरसों की आवक में रिकॉर्ड तेजी देखी गई। कुल मिलाकर 8.25 लाख नई सरसों की आवक दर्ज की गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। इस वृद्धि का मुख्य कारण इस वर्ष की अनुकूल मौसम परिस्थितियाँ और किसानों द्वारा सरसों की खेती में बढ़ती रुचि है।
मंडी भाव पर प्रभाव
सरसों की आवक में इस अप्रत्याशित वृद्धि का सीधा असर मंडी भाव पर पड़ा है। आवक बढ़ने से कीमतों में थोड़ी नरमी देखी गई है, लेकिन गुणवत्ता और मांग के आधार पर विभिन्न मंडियों में भाव अलग-अलग रहे।
विभिन्न राज्यों में सरसों के मंडी भाव
देश के विभिन्न राज्यों में सरसों के मंडी भाव इस प्रकार रहे:
- राजस्थान: यहाँ सरसों का भाव ₹7,200 प्रति क्विंटल तक पहुँचा।
- हरियाणा: सरसों की कीमत ₹6,900 प्रति क्विंटल रही।
- उत्तर प्रदेश: यहाँ भाव ₹6,850 प्रति क्विंटल तक रहे।
- मध्य प्रदेश: सरसों का मूल्य ₹6,570 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
- गुजरात: यहाँ सरसों की कीमत ₹5,835 प्रति क्विंटल रही।
गुजरात में सरसों की स्थिति
गुजरात में सरसों की खेती का विशेष महत्व है। यहाँ की मंडियों में 03 मार्च 2025 को सरसों का औसत मूल्य ₹5,835 प्रति क्विंटल रहा। न्यूनतम मूल्य ₹4,400 प्रति क्विंटल और अधिकतम मूल्य ₹5,900 प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। इससे स्पष्ट है कि गुजरात में सरसों की गुणवत्ता और मांग के अनुसार भाव में अंतर रहा।
भविष्य की संभावनाएँ
सरसों की आवक में वृद्धि और मंडी भाव में उतार-चढ़ाव के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी दिनों में कीमतों में स्थिरता आ सकती है। उपभोक्ताओं की मांग और तेल उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार, सरसों के भाव में संतुलन बनने की संभावना है।
Conclusion
सरसों की आवक में रिकॉर्ड वृद्धि ने किसानों और व्यापारियों के बीच नई उम्मीदें जगाई हैं। मंडी भाव में आए परिवर्तन से यह स्पष्ट होता है कि बाजार में आपूर्ति और मांग का संतुलन कितना महत्वपूर्ण है। आने वाले दिनों में, यदि यह संतुलन बना रहता है, तो सभी हितधारकों के लिए यह लाभकारी सिद्ध होगा।
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