किसान भाइयों के लिए बड़ा मौका! मार्च में करें इस उड़द की खेती और 75 दिन में लाखों कमाएं

किसान भाइयों, अगर आप कम समय में अधिक पैदावार वाली फसल की तलाश में हैं, तो उड़द की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। विशेषकर मार्च महीने में बोई जाने वाली कुछ किस्में मात्र 75 दिनों में तैयार हो जाती हैं और एक हेक्टेयर में बंपर पैदावार देती हैं।

उड़द की उन्नत किस्में

मार्च में बुवाई के लिए उड़द की कुछ उन्नत किस्में हैं जो कम समय में अधिक उपज देती हैं। इनमें से प्रमुख हैं:

  • टी-9 (T-9): यह किस्म 70 से 75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 8 से 10 क्विंटल की उपज देती है।
  • टीपीयू-4 (TPU-4): यह किस्म 74 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 7 से 13 क्विंटल तक उपज देती है।
  • पंत उड़द-31 (Pant Urd-31): यह किस्म 70 से 80 दिनों में पकती है और प्रति हेक्टेयर 10 से 12 क्विंटल की पैदावार देती है।

इन किस्मों की विशेषता है कि ये कम समय में तैयार होती हैं और अच्छी उपज प्रदान करती हैं।

बुवाई का समय और विधि

मार्च महीने में उड़द की बुवाई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक माना जाता है। इस अवधि में बुवाई करने से फसल की वृद्धि और विकास बेहतर होता है। बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

मिट्टी और खेत की तैयारी

उड़द की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसका पीएच मान 6.3 से 7.3 के बीच हो। खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरी बनाएं। साथ ही, जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि फसल में जल जमाव न हो।

सिंचाई और खाद प्रबंधन

उड़द की फसल में सिंचाई की आवश्यकता मौसम और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है। सामान्यतः पहली सिंचाई बुवाई के 30 से 35 दिन बाद करें। इसके बाद आवश्यकता अनुसार 10 से 15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। खाद के रूप में प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम डीएपी, 13 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 50 किलोग्राम फास्फोजिप्सम का उपयोग करें।

खरपतवार और रोग प्रबंधन

फसल के शुरुआती 20 से 25 दिनों तक खेत को खरपतवार मुक्त रखें। इसके लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें। उड़द की फसल में पीला मोज़ेक, पत्ती धब्बा और जड़ सड़न जैसे रोग हो सकते हैं। इनसे बचाव के लिए बीजोपचार करें और आवश्यकतानुसार उचित फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।

कटाई और उपज

उड़द की फसल 70 से 80% फलियाँ पकने पर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फलियों का रंग काला होने पर कटाई करें और फसल को धूप में सुखाकर मड़ाई करें। अच्छी देखभाल और उचित प्रबंधन से प्रति हेक्टेयर 8 से 13 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

Conclusion

किसान भाइयों, मार्च महीने में उड़द की उन्नत किस्मों की खेती करके आप कम समय में अधिक लाभ कमा सकते हैं। सही समय पर बुवाई, उचित देखभाल और प्रबंधन से यह फसल आपके लिए लाभदायक साबित होगी।

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