खेती की जमीन पर टैक्स से जुड़े नियम हमेशा से ही किसानों और जमीन मालिकों के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। Income Tax Rules 2025 के तहत, खेती की जमीन पर टैक्स की दरें और नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। आइए, सरल और रोचक भाषा में समझते हैं कि आपकी जमीन पर कितना टैक्स लगेगा और किन परिस्थितियों में आपको छूट मिल सकती है।
खेती की जमीन के प्रकार: ग्रामीण और शहरी
खेती की जमीन मुख्यतः दो प्रकार की होती है: ग्रामीण कृषि भूमि और शहरी कृषि भूमि। ग्रामीण कृषि भूमि वे हैं जो गांवों या कम घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित होती हैं। वहीं, शहरी कृषि भूमि वे हैं जो नगर पालिका या शहरी क्षेत्रों के अंतर्गत आती हैं। यह जानना आवश्यक है कि आयकर कानून की दृष्टि में, शहरी कृषि भूमि को कृषि भूमि नहीं माना जाता।
आयकर कानून के अनुसार कृषि भूमि की परिभाषा
आयकर अधिनियम की धारा 2(14) के अनुसार, यदि कोई जमीन नगर पालिका, नोटिफाइड एरिया कमेटी, टाउन एरिया कमेटी या कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमा में आती है, और उस क्षेत्र की जनसंख्या 10,000 से अधिक है, तो उस जमीन को कृषि भूमि नहीं माना जाएगा। इसके अलावा, यदि किसी नगर पालिका या कैंटोनमेंट बोर्ड की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है, तो उसके 8 किलोमीटर के दायरे में स्थित जमीन भी कृषि भूमि की श्रेणी में नहीं आएगी।
किस स्थिति में टैक्स से छूट मिलेगी?
यदि आपकी जमीन उपरोक्त मानदंडों के बाहर स्थित है, तो उसे ग्रामीण कृषि भूमि माना जाएगा। ऐसी स्थिति में, उस जमीन की बिक्री पर आपको कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि आयकर विभाग के अनुसार, यह जमीन कैपिटल एसेट नहीं है।
टैक्स की गणना: शहरी कृषि भूमि के लिए
यदि आपकी जमीन शहरी कृषि भूमि की श्रेणी में आती है, तो टैक्स की गणना इस प्रकार होगी:
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन: यदि जमीन को खरीदने के बाद 24 महीने से अधिक समय तक रखा गया है, तो बिक्री पर होने वाले लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। इस पर 20% की दर से टैक्स लगेगा, साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट का लाभ मिलेगा।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन: यदि जमीन को 24 महीने से कम समय के भीतर बेचा जाता है, तो होने वाले लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा, और यह आपकी आयकर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स योग्य होगा।
नए आयकर स्लैब और छूट
बजट 2025 में, सरकार ने नए आयकर स्लैब की घोषणा की है। अब, ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। सैलरीड कर्मचारियों के लिए, ₹12.75 लाख तक की आय पर स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ टैक्स छूट उपलब्ध है। यह बदलाव मध्यम वर्ग के लिए बड़ी राहत लेकर आया है और उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि करेगा।
खेती की जमीन पर टैक्स से जुड़े नियमों को समझना हर जमीन मालिक के लिए आवश्यक है। Income Tax Rules 2025 के तहत, आपकी जमीन की स्थिति और प्रकार के आधार पर टैक्स की देयता निर्धारित होती है। सही जानकारी और समझ के साथ, आप अपने कर दायित्वों का सही तरीके से पालन कर सकते हैं और उपलब्ध छूटों का लाभ उठा सकते हैं।
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