Wheat Price: गेहूं की कीमतों में बवाल! गर्मी के कहर से दाम छू सकते हैं आसमान

Wheat Price: भारत में इस वर्ष असामान्य रूप से बढ़ते तापमान ने गेहूं की फसल पर गंभीर प्रभाव डालने की संभावना बढ़ा दी है। इसका सीधा असर कमोडिटी मार्केट पर पड़ सकता है, जिससे गेहूं की कीमतों में वृद्धि की आशंका है। आइए, इस स्थिति को विस्तार से समझते हैं।

बढ़ते तापमान का गेहूं उत्पादन पर प्रभाव

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, फरवरी और मार्च में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। यह स्थिति गेहूं की फसल के लिए हानिकारक हो सकती है, क्योंकि इस समय फसल दाना भरने की अवस्था में होती है और अधिक तापमान से दाने की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।

पिछले वर्षों का अनुभव

पिछले कुछ वर्षों में भी अधिक तापमान के कारण गेहूं उत्पादन में कमी देखी गई है। उदाहरण के लिए, 2022 में अप्रत्याशित गर्मी के कारण उत्पादन में गिरावट आई थी, जिससे घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई थी।

सरकार की तैयारी और संभावित कदम

सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की गई है ताकि किसान अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हों। हालांकि, यदि उत्पादन में कमी आती है, तो सरकार को आयात शुल्क में कटौती या आयात बढ़ाने जैसे कदम उठाने पड़ सकते हैं।

कमोडिटी मार्केट पर प्रभाव

यदि तापमान में वृद्धि के कारण गेहूं उत्पादन प्रभावित होता है, तो इसका सीधा असर कमोडिटी मार्केट पर पड़ेगा। आपूर्ति में कमी से गेहूं की कीमतों में तेजी आ सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसके अलावा, इससे मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हो सकती है।

किसानों के लिए सलाह

कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसान इस बढ़ते तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए उचित सिंचाई और फसल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें। इसके अलावा, सरकार द्वारा जारी की गई सलाह का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।

Conclusion- Wheat Price

बढ़ते तापमान के कारण गेहूं उत्पादन पर संभावित खतरा मंडरा रहा है, जिससे कमोडिटी मार्केट में गेहूं की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। किसानों और सरकार को मिलकर इस चुनौती का सामना करने के लिए तत्पर रहना होगा, ताकि उपभोक्ताओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

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