यूरिया डालने का गलत समय कर देगा बर्बाद फसल! जानिए गेहूं में यूरिया डालने का सही तरीका

गेहूं की खेती में यूरिया का सही समय पर और उचित मात्रा में उपयोग फसल की पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नाइट्रोजन से भरपूर यूरिया पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। इस लेख में, हम जानेंगे कि गेहूं की बुवाई के बाद यूरिया का उपयोग कब और कैसे करना चाहिए ताकि किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकें।

यूरिया का महत्व

यूरिया नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत है, जो पौधों में क्लोरोफिल निर्माण में सहायता करता है। यह पौधों की पत्तियों को हरा-भरा बनाता है और उनकी वृद्धि को प्रोत्साहित करता है। सही समय पर यूरिया का उपयोग करने से गेहूं की फसल में कल्लों की संख्या बढ़ती है, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है।

बुवाई के बाद यूरिया का उपयोग

पहली सिंचाई के समय

बुवाई के 25-30 दिनों के बाद, जब पहली सिंचाई की जाती है, उस समय प्रति एकड़ 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। यह फसल की प्रारंभिक वृद्धि के लिए आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है।

दूसरी सिंचाई के समय

दूसरी सिंचाई के दौरान, जो पहली सिंचाई के 20-25 दिनों बाद होती है, फिर से प्रति एकड़ 50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करें। इससे पौधों में नए कल्लों का विकास होता है और फसल की उपज बढ़ती है।

यूरिया के साथ अन्य उर्वरकों का संयोजन

यूरिया के साथ-साथ, पोटाश और जिंक जैसे उर्वरकों का सही समय पर उपयोग फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार करता है।

पोटाश का उपयोग

पोटाश फसल के दानों की चमक बढ़ाता है और बालियों को लंबा और स्वस्थ बनाता है। बुवाई के समय डीएपी के साथ प्रति एकड़ 5 किलोग्राम पोटाश डालें। इसके बाद, जब बालियां बननी शुरू हों और कल्ले निकल रहे हों, तब प्रति एकड़ 10 किलोग्राम पोटाश का उपयोग यूरिया के साथ करें।

जिंक का उपयोग

जिंक पौधों में पीलेपन को दूर करने और पोषण संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। पहली सिंचाई के समय प्रति एकड़ 5 किलोग्राम जिंक को यूरिया के साथ मिलाकर छिड़काव करें। यदि फसल में पत्तियां पीली दिखें, तो सुबह 10 बजे के बाद जिंक का छिड़काव करें।

सावधानियां

  • संतुलित मात्रा में उपयोग: अधिक यूरिया का उपयोग पौधों की जड़ों और पत्तियों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, उर्वरकों का संतुलित मात्रा में ही उपयोग करें।
  • पानी की उपलब्धता: जहां पानी की कमी हो, वहां उर्वरकों की मात्रा कम करें। उदाहरण के लिए, यूरिया की मात्रा 40 किलोग्राम के बजाय 20 किलोग्राम प्रति एकड़ करें।

Conclusion

सही समय पर और उचित मात्रा में यूरिया का उपयोग गेहूं की फसल की पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। पहली और दूसरी सिंचाई के समय यूरिया का सही ढंग से उपयोग करने से फसल की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होता है। साथ ही, पोटाश और जिंक जैसे उर्वरकों का संयोजन फसल को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं।

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