Kisan Salah: प्रिय किसान भाइयों और बहनों, आपकी मेहनत और समर्पण से ही हमारे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। आपकी फसलें स्वस्थ और उत्पादक बनी रहें, इसके लिए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने हाल ही में आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। आइए, इन पर एक नजर डालते हैं।
सामान्य सुझाव
फसल को पाले से बचाने के लिए, यदि मिट्टी में नमी की कमी हो, तो हल्की सिंचाई करें। सिंचाई से पहले मौसम का पूर्वानुमान अवश्य देखें; यदि बारिश की संभावना हो, तो सिंचाई टाल दें। फसल में पीलापन दिखाई देने पर, अत्यधिक नाइट्रोजन (यूरिया) का उपयोग न करें, विशेषकर कोहरे या बादल वाले मौसम में। पीला और भूरा रतुआ रोग के लक्षणों के लिए फसल की नियमित निगरानी करें और आवश्यकता पड़ने पर नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से परामर्श लें।
सिंचाई प्रबंधन
फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें, लेकिन तेज हवा वाले मौसम में सिंचाई से बचें, ताकि फसल के गिरने (लेजिंग) से उपज का नुकसान न हो। तापमान बढ़ने पर, फसल को सूखे से बचाने के लिए 0.2% म्यूरेट ऑफ पोटाश (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 400 ग्राम MOP) या 2% KNO₃ (प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 4 किलोग्राम) का दो बार छिड़काव करें: एक बार बूट लीफ चरण में और दूसरी बार एंथेसिस चरण के बाद।
पीला और भूरा रतुआ रोग नियंत्रण
यदि फसल में पीला या भूरा रतुआ रोग दिखाई दे, तो 1 मिलीलीटर प्रोपीकोनाजोल 25 EC को 1 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 200 मिलीलीटर कवकनाशी का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
गुलाबी छेदक कीट नियंत्रण
मक्का, कपास, और गन्ना उगाने वाले क्षेत्रों में गुलाबी छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है। प्रभावित पौधे पीले पड़ जाते हैं और आसानी से उखड़ जाते हैं। ऐसे पौधों को हाथ से उखाड़कर नष्ट करें। यदि संक्रमण अधिक हो, तो 1000 मिलीलीटर क्विनलफॉस 25% EC को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
Conclusion- Kisan Salah
इन सुझावों का पालन करके आप अपनी गेहूं की फसल को रोगों और कीटों से बचा सकते हैं, साथ ही उपज में वृद्धि कर सकते हैं। आपकी मेहनत और सही तकनीकों का संयोजन ही बेहतर परिणाम देगा।
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