Ganna Kisan के लिए खुशखबरी है! सरकार ने उनकी आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई योजनाएँ पेश की हैं। इन पहलों से किसानों की बल्ले-बल्ले हो गई है। आइए, जानते हैं इन योजनाओं के बारे में विस्तार से।
Ganna Kisan Yojana
हाल ही में, चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को अगेती प्रजाति के बीज पर अनुदान देने की घोषणा की है। इससे किसान उच्च गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त कर सकेंगे, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, यदु शुगर मिल बिसौली अपने क्षेत्र के किसानों को बुवाई के लिए बीज आरक्षित करने पर 80 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है। इसके अलावा, न्योली शुगर मिल 200 रुपये प्रति क्विंटल का अनुदान दे रही है। इस पहल से किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा और वे बेहतर फसल उत्पादन कर सकेंगे।
एथनॉल उत्पादन में वृद्धि: आय के नए स्रोत
केंद्र सरकार ने गन्ने से बने एथनॉल के संशोधित खरीद मूल्य को स्वीकृति प्रदान की है। अब C-हेवी मोलासेस के लिए ₹57.97 प्रति लीटर, B-हेवी मोलासेस के लिए ₹60.73 प्रति लीटर, और गन्ने के रस, चीनी सिरप, या गन्ने के रस से सीधे एथनॉल के लिए ₹65.61 प्रति लीटर की दर निर्धारित की गई है। इससे गन्ना किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना: पंजीकरण की अंतिम तिथि नजदीक
बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना के तहत किसानों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की है, जिसकी अंतिम तिथि 1 मार्च 2025 है। इस योजना का उद्देश्य गन्ना किसानों को वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग प्रदान करना है, जिससे वे अपनी फसल उत्पादन में सुधार कर सकें। जो किसान अभी तक पंजीकरण नहीं करा पाए हैं, उन्हें जल्द से जल्द पंजीकरण कराना चाहिए ताकि वे इस योजना का लाभ उठा सकें।
हितधारकों की बैठक
भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने “गन्ना और चीनी क्षेत्र @2025” पर हितधारकों की बैठक आयोजित की। इस बैठक में गन्ना उत्पादन और चीनी उद्योग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। इस पहल का उद्देश्य गन्ना किसानों की समस्याओं का समाधान करना और उन्हें नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना है, जिससे वे अपनी फसल उत्पादन में सुधार कर सकें।
Conclusion- Ganna Kisan Yojana
सरकार और चीनी मिलों की इन नई पहलों से गन्ना किसानों की आय में वृद्धि होगी और वे आत्मनिर्भर बनेंगे। उच्च गुणवत्ता वाले बीज पर अनुदान, एथनॉल उत्पादन में वृद्धि, और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन मिल रहा है। किसानों को चाहिए कि वे इन योजनाओं का पूरा लाभ उठाएँ और अपने भविष्य को संवारें।
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