FPI: शेयर बाजार में लाल निशान! विदेशी निवेशकों ने निकाले ₹24,753 करोड़, बड़ा खतरा मंडराया?

FPI: आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे की जिसने हाल ही में भारतीय शेयर बाजार में हलचल मचा दी है। मार्च 2025 के पहले सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार से ₹24,753 करोड़ की निकासी की है। आइए, समझते हैं इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।

एफपीआई की बिकवाली का सिलसिला जारी

साल 2025 की शुरुआत से ही एफपीआई भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। जनवरी में उन्होंने ₹78,027 करोड़ और फरवरी में ₹34,574 करोड़ की निकासी की थी। मार्च के पहले सप्ताह में ₹24,753 करोड़ की निकासी के साथ, इस वर्ष अब तक कुल निकासी ₹1,37,354 करोड़ तक पहुंच गई है।

बिकवाली के प्रमुख कारण

कमजोर कॉर्पोरेट आय: भारतीय कंपनियों की अपेक्षा से कम आय ने निवेशकों की चिंता बढ़ाई है, जिससे एफपीआई ने अपने निवेश कम किए हैं।

मंदी की आशंका: वैश्विक आर्थिक मंदी की संभावनाओं ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्पों की तलाश में मजबूर किया है।

डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से उभरते बाजारों में निवेश कम आकर्षक हो गया है, जिससे भारत से पूंजी निकासी बढ़ी है।

मूल्यांकन संबंधी चिंताएं

कई विदेशी निवेशकों का मानना है कि भारतीय शेयरों का मूल्यांकन अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अधिक है, जिससे वे बेहतर विकास क्षमता और कम जोखिम वाले बाजारों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं।

बाजार पर प्रभाव

एफपीआई की लगातार बिकवाली से भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ी है। हालांकि, घरेलू निवेशकों की सक्रियता ने बाजार को पूरी तरह गिरने से बचाया है, लेकिन लंबी अवधि में यह प्रवृत्ति चिंताजनक हो सकती है।

Conclusion- FPI

विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है, और यह अस्थायी चुनौतियों का सामना कर सकती है। सरकार और नियामकों को निवेशकों के विश्वास को बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

प्रिय पाठकों, एफपीआई की यह बिकवाली भारतीय शेयर बाजार के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है। लेकिन हर चुनौती अपने साथ नए अवसर भी लाती है। आइए, हम सभी मिलकर इस स्थिति का सामना करें और भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाएं।

Read more:

Leave a Comment

Join WhatsApp