हाल ही में, Relaince Industries को भारत सरकार से ₹24,522 करोड़ का डिमांड नोटिस प्राप्त हुआ है, जिससे कंपनी और निवेशकों के बीच हलचल मच गई है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
Relaince Industries
यह डिमांड नोटिस पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। मामला ओएनजीसी ब्लॉक (KG-D6) से गैस माइग्रेशन से संबंधित है, जिसमें रिलायंस पर आरोप है कि उसने ओएनजीसी के ब्लॉक से गैस का माइग्रेशन किया था।
कानूनी प्रक्रिया और फैसले
यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट तक पहुंचा, जहां 2018 में इंटरनेशनल आर्बिट्रेटर ने रिलायंस के पक्ष में $1.55 बिलियन (लगभग ₹13,528 करोड़) का फैसला सुनाया था। हालांकि, भारत सरकार ने इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। मई 2023 में सिंगल जज बेंच ने रिलायंस के पक्ष में फैसला दिया, लेकिन सरकार ने इसे डिविजन बेंच में चुनौती दी, जिसने सिंगल जज के फैसले को पलट दिया।
शेयर बाजार में प्रतिक्रिया
इस नोटिस के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर मूल्य में गिरावट देखी गई। शेयर 1% की गिरावट के साथ ₹1,160 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। 3 मार्च को इसने ₹1,156 का नया 52-सप्ताह का निचला स्तर छुआ।
कंपनी की वित्तीय स्थिति
तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ₹18,540 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 7.38% अधिक है। कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 7% बढ़कर ₹2.44 लाख करोड़ रहा।
निवेशकों के लिए संदेश
इस डिमांड नोटिस से निवेशकों में चिंता बढ़ी है। हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज की मजबूत वित्तीय स्थिति को देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी इस चुनौती का सामना करने में सक्षम होगी। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें और कंपनी के आगामी कदमों पर नजर रखें।
Read more: